नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa