कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति। अर्थ- त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने https://trevorpkqof.blogocial.com/indicators-on-shiv-chalisa-in-hindi-lyrics-you-should-know-65755992